Wednesday, July 28, 2010

फिर उसी चाँद से रिश्ता बना बैठे


फिर उसी सादगी से फरेब खा बैठे

पत्थरों से थे ताल्लुकात हमारे

फिर भी शीशे का घर बना बैठे ...

Tuesday, July 27, 2010

सभी दुखों से मुक्ति का, निकला यही निचोड़।


जिन मसलों का हल नहीं, उन्हें समय पर छोड़।।
 
                                                 हुल्लड़ मुरादाबादी